इस दवाई से गुर्दे की पथरी का झंझट ही खत्म
गुर्दे में बनने वाली किसी भी प्रकार की पथरी से अब परेशान होने की जरूरत नहीं है। ना आपरेशन का झंझट और ना ही बार - बार पथरी बनने की परेशानी, इन सभी से मुक्ति संभव है। क्योंकि प्राकृतिक चिकित्सक डाॅ. कृष्ण कुमार रामानन्दी ने वर्षों पहले एक ऐसे फार्मूले की खोज की थी, जो वर्तमान समय में गुर्दे की पथरियों के रोगियों के लिए रामबाण सिद्ध हुआ है।
पिछले 14 वर्ष में बहुत बड़ी संख्या में गुर्दे की पथरी के रोगियों को इस बीमारी से मुक्ति मिली है। पथरी चाहे गुर्दे में हो या फिर टूट कर पेशाब की नली, पेशाब की थैली या फिर पेशाब के रास्ते में आकर फंस गई हो, सभी पर फार्मूले ने सफलतापूर्वक कार्य किया है। कारगर औषधियों से तैयार इस फार्मूले को के.के. फार्मेसी ने पथरी नाशक नाम से डिजाइन किया है। के.के. फार्मेसी पथरी नाशक आयुर्वेदिक मेडीसिन का किसी भी प्रकार का कोई साइडइफेक्ट नहीं है। बच्चे से लेकर बूढ़े और गर्भवती महिलाएं भी इसका सेवन कर सकते हैं। डाॅ. कृष्ण कुमार रामानन्दी प्राकृतिक चिकित्सा में बी.एन.बाई.एस. की उपाधि से अलंकृत हैं। रजिस्टर्ड डाॅक्टर होने के नाते वह कुशलता से रोगियों का उपचार करते हैं। इस संबंध में डाॅ.कृष्ण कुमार रामानन्दी का कहना है कि जैसा वह चाहते थे, ऐसा किडनी स्टोन का फार्मूला डिजाइन करने में उन्हें करीब पांच साल का समय लगा। वह चाहते थे कि रोगियों को एक ही मेडीसिन से संपूर्ण लाभ मिले। के.के. फार्मेसी पथरी नाशक मेडीसिन गुर्दे की हर प्रकार की पथरी को नष्ट करने में सक्षम है। डाॅ. कृष्ण कुमार रामानन्दी कहते हैं कि गुर्दे में पथरी होने पर किसी भी दवाई पर आंख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए। काफी रोगियों पर अध्ययन करने से पता चला है कि पथरी निकालने का दावा करने वाले तमाम नीम हकीमों की दवाईयां गुर्दों को ही खराब कर देती हैं। के.के. फार्मेसी पथरी नाशक मेडीसिन पूर्णतः आयुर्वेदिक है और इसका किसी भी तरह से साइडइफेक्ट देखते को नहीं मिला है। कैप्सूल के रूप में इस फार्मूले की बहुत कम खुराक निर्धारित की गई है। यह गुर्दे की पथरी तथा पेशाब की नली, पेशाब की थैली और पेशाब के रास्ते में फंसी पथरी को गलाकर बाहर कर देती है। जो पथरी गुर्दे के भीतर हैं, उन पर करीब चार दिन में एक एमएम तथा जो पथरी गुर्दे से बाहर आकर फंस गई है, उसे 12 से 48 घंटे में नष्ट कर देती है।..
के.के. फार्मेसी पथरी नाशक का सेवन करने के बाद मरीज को किसी तरह का परहेज करने की जरुरत नहीं रहती। इसमें शामिल औषधियां इतनी प्रभावशाली हैं, जो शरीर में पहुंचकर पथरी बनने वाले तत्वों को स्वतः ही नष्ट कर देती हैं। यदि आपको पथरी की शिकायत नहीं है, तो भी आप सप्ताह में एक कैप्सूल का सेवन कर सकते हैं। इससे गुर्दे में पथरी बनने की संभावना खत्म हो जाती है।
कोई परहेज नहीं, स्वस्थ व्यक्ति भी कर सकता है सेवन
के.के. फार्मेसी पथरी नाशक कैप्सूल 100 फीसदी है आयुर्वेदिक
इसे गुर्दे की पथरी के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। मूत्रपथ के विकार और गुर्दों की पथरी के लिए रामबाण है। यह आयुर्वेदिक फार्मूला प्रभावी रूप से गुर्दे की पथरी को जड़ से खत्म करता है और पथरी को गलाकर मूत्र मार्ग से बाहर निकाल देता है। मूत्र नली में फंसी पथरी को भी गलाकर बाहर निकाल देता है। यह इस कैप्सूल की विशेषता है। पथरी नाशक कैप्सूल की पहली खुराक ही तीव्र से तीव्र दर्द को कुछ ही देर में दूर कर देती है और रोगी को राहत मिलती है।
चमत्कारिक लाभ
गुर्दे की पथरी को गलाकर बाहर निकालता है
मूत्र विकारों को दूर करता है
मूत्र में रक्त को आने से रोकता है
कंटीली पथरी से गुर्दे में होने वाले जख्म को भरता है
पथरी के कारण गुर्दे पर आने वाली सूजन के लिए भी लाभकारी है
मूत्र पथ की संक्रमण से सुरक्षा करता है
एंटी फंगल, एंटी वायरल, एंटी बैक्टीरियल
सेवन विधि:-
सुबह-शाम खाली पेट एक-एक कैप्सूल का सेवन एक गिलास पानी के साथ करें।
मूत्र मार्ग, मूत्र थैली या मूत्र नली में पथरी फंसी होने पर हर ढाई घंटे में कैप्सूल का सेवन करें (नोटः-इलाज की अवधि पथरी के साइज एवं स्थिति के अनुसार)
(नोटः-दिनभर में कम से कम 3 से 4 लीटर पानी का सेवन करें। गर्मी के मौसम में पानी के साथ-साथ एक गिलास अनानास के जूस का सेवन करें। गर्मियों के दिनों में पेशाब के रंग और मात्रा को देखकर ही पानी का सेवन करें। इन दिनों में पेशाब अधिक मात्रा, तेज गति और साफ होना चाहिए। ऐसे में आपको कितना पानी पीना चाहिए, स्वयं निर्णय लें। क्योंकि पेशाब जितना अच्छा आयेगा, दवाई भी उतनी ही अच्छी तरह से काम करेगी।)
जानिए कैसे बनती है गुर्दे में पथरी (Know Kidney Stone)
किडनी स्टोन, (जिसे गुर्दे की पथरी, नेफ्रोलिथियासिस या यूरोलिथियासिस भी कहा जाता है) मूत्रतंत्र की एक ऐसी स्थिति है जिसमें गुर्दे के अन्दर (खनिज व लवणों का जमाव) छोटेे-छोटे पथरों का निर्माण होता है। गुर्दे में एक समय में एक या एक से अधिक पथरी हो सकती हैं। अक्सर, पथरी तब बनती है जब मूत्र गाढ़ा हो जाता है, जिससे खनिज क्रिस्टलीकृत हो जाते हैं और एक साथ चिपक जाते हैं। हालांकि सामान्यतः छोटी-छोटी पथरियां बिना किसी तकलीफ के मूत्रमार्ग के जरिए शरीर से बाहर निकल जाती हैं, क्योंकि यह एक स्वतः प्रक्रिया है, लेकिन बड़ा आकार लेने पर पथरियां गुर्दे से बाहर नहीं निकल सकती। वैसे आपका आहार, शरीर का अतिरिक्त वजन, कुछ चिकित्सीय स्थितियां और कुछ पूरक दवाएं किडनी स्टोन के कई कारणों में से एक है। पथरी आपके मूत्र पथ के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती हैं, जैसे - आपके गुर्दे से लेकर आपके मूत्राशय तक। इससे मूत्रांग के आसपास असहनीय पीड़ा होती है। यह स्थिति आमतौर पर बड़ों के साथ-साथ बच्चों में भी देखने को मिल रही है। प्रदूषित खान-पान के कारण हर तीसरा और चैथा व्यक्ति पथरी रोग से पीड़ित है।
गुर्दे की पथरी के प्रकार (Kind of Kidney Stones)
Calcium Stone (80%)
कैल्शियम स्टोन, किडनी स्टोन का सबसे साधारण प्रकार है। यह किडनी स्टोन कैल्शियम, ऑक्सलेट या फॉस्फोरस जैसे कैमिकल के मेल से बनता है। जो व्यक्ति कम पानी पीते हैं या ऑक्सलेट और फॉस्फोरस वाला आहार ज्यादा लेते हैं। उन्हें इसकी समस्या अधिक होती है। 80 प्रतिशत लोग इसी किडनी स्टोन के शिकार हैं।
जोखिम कारक
कैल्शियम या विटामिन डी आहार अनुपूरक खाद्य पदार्थ - ऑक्सालेट्स में बहुत अधिक एवोकैडो, खजूर, अंगूर, कीवी, संतरा, रसभरी, पालक और टमाटर
Struvite Stone (10%)
स्ट्रुवाइट स्टोन पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में सबसे अधिक पाया है। जो महिलाएं मूत्र पथ संक्रमण से जूझ रहीं होती है, ऐसी महिलाओं में यह स्टोन होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। यह किडनी स्टोन होने का मतलब होता है कि अब मूत्र पथ संक्रमण काफी आगे बढ़ चुका है और इस वजह से किडनी संक्रमित हो चुकी है। इस किडनी स्टोन की वजह से पेशाब से जुड़ी समस्याएँ बढ़ने लगती है। इस स्टोन से छुटकारा पाने के लिए सबसे पहले संभावित संक्रमण से छुटकारा पाना बहुत जरूरी होता है।
जोखिम कारक
मैग्नीशियम, अमोनियम और फॉस्फेट से बना जोखिम कारक मूत्र पथ के संक्रमण प्रोटीस मिराबिलिस, क्लेबसिएला निमोनिया एंटरोबैक्टर, और स्यूडोमोनास एरुगिनोसा
Uric Acid Stone (9%)
यूरिक एसिड किडनी स्टोन महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक पाया जाता है। इस प्रकार का स्टोन तब बनता है, जब पेशाब में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो जाए। प्युरिन युक्त आहार लेने की वजह से यूरिक एसिड स्टोन की समस्या सबसे अधिक होती है। प्यूरिन एक बेरंग पदार्थ होता है जो कि पशु प्रोटीन में सबसे ज्यादा पाया जाता है। जो व्यक्ति अधिक मात्रा में मांसाहार लेते हैं, उन्हें यूरिक एसिड स्टोन होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है।
जोखिम कारक
दस्त और गठिया
Cystine Stone (1%)
सिस्टाइन स्टोन महिलाओं और पुरुषों दोनों में हो सकता है। यह स्टोन एक वंशानुगत रोग है जो कि सिस्टाइन के किडनी से मूत्र में रिसाव की वजह से होता है। बाकी किडनी स्टोन के मुकाबले यह किडनी स्टोन काफी दुर्लभ होता है। सिस्टाइन एक गैर - जरूरी अमीनो एसिड है जो कि प्रोटीन बनाने और अन्य चयापचय कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह बीटा - केराटिन में पाया जाता है। यह नाखून, त्वचा और बालों में मिलने वाला एक मुख्य प्रोटीन है। सिस्टाइन, कोलेजन बनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है।
जोखिम कारक
दुर्लभ विकार जिसे सिस्टिनुरिया कहा जाता है
गुर्दे की पथरी का आकार, रंग एवं स्थिति
गुर्दे की पथरी का आकार भी होता है। जैसे बारहसिंहे की तरह दिखने वाली पथरी, लम्बी, गोल, चपटी, त्रिकोण, चतुर्भुजी, कांटेदार, चिकनी, छोटी, बड़ी एवं बहुत बड़ी आदि आकार होते हैं। पथरी के रंग उसके प्रकार पर निर्भर करते हैं। कौन सी बीमारी में किस प्रकार एवं रंग की पथरी बनती है। पथरी की स्थिति क्या है, जैसे पथरी गुर्दे के किस भाग में बनी है।
पथरी बनने के जोखिम व कारक
कुछ बीमारियों, दवाओं, गलत आहार की आदतों से पथरी बनने की संभावना बढ़ जाती है जैसे- मूत्र में कैल्शियम या ऑक्सालेट की अत्यधिक मात्रा। आहार में कम कैल्शियम, उच्च मात्रा में ऑक्सालेट्स वाले आहार, पशु प्रोटीन ज्यादा मात्रा में या आहार में ज्यादा मात्रा में सोडियम का सेवन जैसे कारक। कम पानी पीने से और तरल पदार्थ की कमी से निर्जलीकरण होने पर। कैल्शियम, विटामिन डी और विटामिन सी की अत्यधिक खुराक लेने पर। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, गाउट, हाइपरथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों में या जिनकी गैस्ट्रिक बाईपास या बैरियाट्रिक सर्जरी हुई है उन लोगों में पथरी होने की शिकायत अधिक होती है।
वंशानुगत कारक
सिस्टीन जैसे कुछ पत्थर परिवार के सदस्यों में पाए जाते हैं जो आनुवंशिक विकारों के बारे में बताते हैं।
बार-बार पथरी का होना
यदि किसी को पहले से गुर्दे की पथरी की शिकायत रही है, तो भविष्य में फिर से पथरी होने का खतरा अधिक होता है, खासकर पुरुषों में। 10 - 30 फीसदी पुरुष अगले 5 साल में फिर से पथरी का शिकार हो सकते हैं।
बचाव
1. पालक:- वैसे तो पालक आयरन का बेहतरीन सोर्स है और ढेर सारे विटामिन्स और मिनरल्स से भी भरपूर होता है लेकिन किडनी में स्टोन की समस्या होने पर पालक खाने से बचना चाहिए। इसका कारण ये है कि पालक में ऑक्सलेट होता है जो खून में मौजूद कैल्शियम से खुद को बांध लेता है और किडनी उसे फिल्टर नहीं कर पाती और वह यूरिन के रास्ते शरीर से बाहर नहीं निकल पाता है जिससे किडनी में स्टोन बनता है।
2. जिन चीजों में ऑक्सलेट अधिक होता है:-
पालक के अलावा चुकंदर, भिंडी, बीजयुक्त सब्जियां, शकरकंद, चाय, अखरोट, मूंगफली, बादाम, बटर, ब्लूबेरी, चॉकलेट जैसे फूड्स में भी ऑक्सलेट की मात्रा अधिक होती है। विटामिन सी की अत्यधिक खुराक से बचें क्योंकि विटामिन सी से ऑक्सलेट उत्पन्न होता है जिसके फलस्वरूप मूत्र में बड़ी मात्रा में ऑक्सालेट की मात्रा बढ़ सकती है। अगर किसी मरीज को किडनी में स्टोन की समस्या है तो उसे ऑक्सलेट वाली चीजें बिल्कुल न खाने या सीमित मात्रा में ही खाने की सलाह दी जाती है।
3. चिकन, मछली अंडा:-
रेड मीट, चिकन, पोल्ट्री, फिश और अंडा- ये कुछ ऐसे फूड्स हैं जिसमें ऐनिमल प्रोटीन की मात्रा सबसे अधिक होती है और इन चीजों का अधिक सेवन करने से शरीर में यूरिक एसिड का उत्पादन अधिक होता है। चूंकि प्रोटीन हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है इसलिए एनिमल प्रोटीन की जगह पौधों व डेयरी उत्पाद से प्राप्त प्रोटीन का सेवन करना चाहिए जैसे- टोफू, कीन्वा, चिया सीड्स, दूध, दही, पनीर आदि।
4. कम से कम नमक:-
नमक में सोडियम होता है और सोडियम की अधिक मात्रा यूरिन में कैल्शियम को जमाने का काम करती है। लिहाजा खाने में ऊपर से नमक डालने से परहेज करें। इसके अलावा चिप्स, फ्रोजेन फूड, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ जैसे कि हॉट डॉग, चटनी, ड्राई सूप, अचार इत्यादि कम-से-कम खाएं क्योंकि इनमें नमक अधिक मात्रा में होता है।
5. कोला या सॉफ्ट ड्रिंक:-
कोला में फॉस्फेट नाम का केमिकल अधिक होता है जिसकी वजह से किडनी में स्टोन बनने की आशंका रहती है। लिहाजा बहुत अधिक चीनी या शुगर सिरप वाले प्रोसेस्ड फूड और ड्रिंक्स का सेवन न करें। सिर्फ नमक ही नहीं बहुत अधिक चीनी- जैसे सुक्रोज और फ्रक्टोज भी किडनी स्टोन के खतरे को बढ़ाती है।
रोकथाम के तरीकों में हाइड्रेटेड रहना (प्रति दिन अपने शारीरिक भार के अनुसार या मूत्र को हल्का और साफ रखने के लिए पर्याप्त पानी) और कम नमक, पशु प्रोटीन और ऑक्सालेट युक्त खाद्य पदार्थ (जैसे नट्स, चाय, चॉकलेट और सोया) वाले आहार का पालन करना शामिल है।
कैल्शियम से भरपूर आहार बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है, लेकिन कैल्शियम की खुराक का उपयोग सावधानी से करना चाहिए। लगभग 50 प्रतिशत मामलों में गुर्दे की पथरी दोबारा हो जाती है, इसलिए रोकथाम ही सर्वोत्तम उपाय है।
लक्षण
यह पथरियों के आकार और उनके स्थान पर निर्भर करता है। पथरी की वजह से जो सबसे आम लक्षण उभरते हैं वो है पेट या उसके निचले हिस्से में दर्द का होना जो कमर तक बढ़ सकता है। पथरी निकलते समय दर्द का होना सबसे आम है। इसमें गंभीर कष्टदायी दर्द की लहरें भी उठतीं हैं जिसे वृक्क शूल कहा जाता है। पेशाब करने में कठिनाई, मूत्र में रक्त का आना या उल्टी होना, संक्रमण होने पर बुखार और ठंड लगना, पसलियों के नीचे, बाजू और पीठ में गंभीर, तेज दर्द जो पेट के निचले हिस्से और कमर तक फैलता है। दर्द जो लहरों में आता है और तीव्रता में उतार-चढ़ाव होता है। लगातार पेशाब करने की आवश्यकता होना, सामान्य से अधिक बार पेशाब आना या कम मात्रा में पेशाब आना है। मूत्र से रेत जैसे कठोर कण निकल सकते हैं। पथरी मूत्र के रास्ते में फंस सकती है जिससे पेशाब करने में बाधा उत्पन्न होती है और दर्द होता है। गुर्दे में अगर पथरी बहुत छोटी है तो वे रुकावट पैदा नहीं करती हैं, इस कारण पथरी का कोई लक्षण नहीं दिखता है।
निदान
गुर्दे की पथरी का निदान अल्ट्रासोनोग्राफी या सीटी स्कैन द्वारा किया जाता है। एक्स-रे और इंट्रावेनस पाइलोग्राफी भी निदान के लिए उपयोगी होते हैं। सीटी स्कैन अधिक सटीक होता है लेकिन रोगी को विकिरण का सामना करना पड़ता है। पथरी किस प्रकार का है यह जानने के लिए, कैल्शियम, ऑक्सालेट, यूरिक एसिड और साइट्रेट का 24 घंटे का मूत्र आंकलन आवश्यक होता है। मूत्र में संक्रमण है या नहीं या मूत्र अम्लीय अथवा क्षारीय है, यह देखने के लिए मूत्र की जाँच उपयोगी है।